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इतवर का दिन था, आज मुझे मेरे वर्परोम होम से भी चुट्टी थी।
तो उपर अपने कमरे में लेटे लेटे, मैं कुछ सोच ही रहा था कि यका यक मुझे नीचे से माँ की आवज है।
समीर, समीर, जड़ा नीचे आओ, हम मंबई के लिए निकल रहे हैं।
शाम छि बज़ी की फ्लाइट है, मैंने रिस्ट वाच को देखते देखते माँ को जवाब दिया, हाँ मैं आ रहा हूँ।
मैं नीचे पहुचा, तो देखा कि माँ और पापा दोनों भी अपने बैक्स ले जाने के लिए तयार थे।